होने वाले उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की सीमा तय कर दी गई है। बढ़ती महंगाई के कारण जहां हर चीज के दामों में बढ़ोतरी देखी जा रही है, ऐसे में निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव लड़ने में होने वाले खर्च में कोई बढ़ोतरी नहीं की है।
इन चुनावों में जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव खर्च की सीमा केवल डेढ़ लाख तय होगी। वहीं ग्राम पंचायत सदस्य मात्र दस हजार रुपये में लड़ेगा। बीडीसी सदस्य व ग्राम प्रधान को चुनाव में 75 हजार रुपये तक खर्च करने की छूट होगी। उम्मीदवारों को उसी खर्च में चुनाव लड़ना होगा जो कि वर्ष 2015 में तया किया गया था। निर्वाचन आयोग की ओर से इसकी गाइडलाइन तय कर दी गई है। निर्धारित सीमा से अधिक खर्च करने पर उम्मीदवार का निर्वाचन खतरे में पड़ सकता है। इसके लिए स्पष्ट निर्देश हैं कि उम्मीदवार को तय सीमा तक ही व्यय करना होगा। सरकारी आंकड़ों में तय खर्च के अनुसार ही बिल देने होंगे। बढ़ती महंगाई के बाद अब पुरानी सीमा पर चुनाव लड़ना उम्मीदवारों के लिए एक चुनौती होगा।
हर पद के उम्मीदवार की लगातार निर्वाचन आयोग जाँच करेगा। इसके लिए चुनाव प्रचार के दौरान बनाई गई टीम लगातार उम्मीदवार के खर्चे पर नजर रखती है। शिकायत के बाद जांच की जांती है। यदि टीम को चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे सबूत मिलते हैं तो यह खर्च उसके व्यय में शामिल कर लिया जाता है। अधिक व्यय होने पर रिपोर्ट भेजी जाएगी।
अजय शंकर पांडेय, जिलाधिकारी गाज़ियाबाद के अनुसार:-
''होने वाले पंचायत चुनाव में खर्चे हेतु निर्धारित सीमा की गाइडलाइन आ चुकी है। आचार संहिता लागू होने के बाद इन्हें सार्वजनिक कर दिया जाएगा। सभी उम्मीदवारों से उम्मीद है कि वह निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों का पालन करेंगे।''
